अखिलेश और राहुल ने यूं पलट दिया बीजेपी का गेम

अखिलेश और राहुल ने यूं पलट दिया बीजेपी का गेम

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश को लेकर बीजेपी जिस तरह के दावे कर रही थी, परिणाम ठीक उसके विपरीत आये हैं। उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटें जीतने के दावों के साथ चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी को परिणामो से बड़ा झटका लगा है। जातीय समीकरणों और राष्ट्रीय मुद्दों के आगे बीजेपी के ध्रुवीकरण के प्रयास धरे रह गए।

पहले दो चरणों के चुनाव के बाद कांग्रेस और सपा ने जिस तरह का चुनावी मैनेजमेंट किया उससे बीजेपी के मंसूबे धरे रह गए। जहां एक तरफ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का पीडीए का दांव खरा उतरा वहीँ कांग्रेस नेता राहुल गांधी का अग्निवीर, बेरोज़गारी और संविधान बचाओ का मुद्दा मतदाताओं के समझ आ गया।

लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू होने से पहले ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) का दांव चलकर बीजेपी के समक्ष बड़ी चुनौती पेश कर दी। लोकसभा चुनाव के लिए जैसे जैसे प्रचार आगे बढ़ा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अपने तरकश में तीरों की संख्या बढ़ा दी।

पहले चरण के लिए मतदान से पहले इंडिया गठबंधन के तरकश में बीजेपी के दुर्ग को भेदने के लिए पर्याप्त तीर मौजूद दिखे। चुनावी सभाओं संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए ,मतदान का आह्वान और मंहगाई- बेरोज़गारी-अग्निवीर योजना पर जिस तरह दोनों नेताओं ने आक्रामक हमले किये उससे बीजेपी शिथिल होती चली गई।

तीसरे और चौथे चरण के मतदान के बाद ही ऐसा दिखने लगा कि बीजेपी आक्रामक की जगह रक्षात्मक मोड में आ गई है। यही कारण था कि तीसरे चरण के मतदान के बाद पीएम मोदी सहित कई बीजेपी नेताओं ने अपनी चुनावी सभाओं में कह डाला कि यदि इंडिया गठबंधन की सरकार बनी तो वह आपकी प्रॉपर्टी का सर्वे कराकर उसमे से देश के मुसलमानो को हिस्सा दे देगी। पीएम मोदी ने तो यहाँ तक कह डाला कि ये आपकी मां- बहिनो के गले से मंगलसूत्र तक छीन लेंगे।

पीएम मोदी और बीजेपी नेताओं ने जिस तरह इंडिया गठबंधन के घोषणा पत्र को लेकर दुष्प्रचार शुरू किया, उससे स्पष्ट हो गया था कि बीजेपी अपनी सरकार की दस साल की उपलब्धियों पर वोट मांगने की जगह पुराना धार्मिक ध्रुवीकरण का दांव चलने की कोशिश में है।

बीजेपी ने जैसे ही धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोट हासिल करने की कोशिश की तो इसके जबाव में कांग्रेस और सपा ने अपनी चुनावी सभाओं में बीजेपी के 400 पार के नारे को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। बीजेपी के हमलों का जबाव बीजेपी की तरह ही देते हुए सपा और कांग्रेस नेताओं ने अपनी सभाओं में यह कहना शुरू कर दिया कि यदि बीजेपी की फिर से सरकार बनी तो ये इस बार संविधान और आरक्षण दोनों खत्म कर देंगे।

शायद इंडिया गठबंधन के रणनीतिकारों को भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि संविधान और आरक्षण का मुद्दा मतदाताओं के इस कदर दिल तक पहुंच जायेगा कि बहुजन समाज पार्टी का परंपरागत वोट भी इंडिया गठबंधन की तरफ चल पड़ेगा। आखिरकार तीर निशाने पर लग गया। पीएम मोदी के आरोपों से धार्मिक ध्रुवीकरण तो नही हो पाया लेकिन इंडिया गठबंधन का वोट अवश्य बढ़ गया।


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