छठे चरण में कम मतदान के बाद 7वे चरण पर टिकीं नज़रें

छठे चरण में कम मतदान के बाद 7वे चरण पर टिकीं नज़रें

नई दिल्ली। 7 चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव में अब तक 6 चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है और अब सभी की नज़रें 7वे चरण के चुनाव पर टिकी हैं। 7वे चरण में पीएम नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी पर भी मतदान होना है।

पहले चरण से ही कम मतदान की आशंका ने राजनीतिक दलों को एक सन्देश अवश्य दे दिया है। छठे चरण में उम्मीद से कम मतदान ने अब 7वे चरण के चुनाव में कम मतदान की संभावनाओं को और अधिक बल दिया है।

अब तक हुए छह चरणों के मतदान में से पांचवें चरण में मतदान सबसे कम 62.2 प्रतिशत रहा। कम मतदान से किसे फायदा हो रहा है और किसे नुकसान, इसका सटीक अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। हालांकि चुनावी जानकार दावा कर रहे हैं कि शहरी क्षेत्रो में कम मतदान होना सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।

देशभर की चुनावी तस्वीर देखें तो पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य सामने आया है जिसमे मतदाताओं ने मतदान में चढ़बढ़कर हिस्सा लिया। यही कारण है क़ पश्चिम बंगाल में मतदान अन्य राज्यों की तुलना में अधिक हुआ है।

चुनावी जानकारों की माने तो हिंदी भाषी क्षेत्रो में तेज गर्मी के कारण भी मतदान का प्रतिशत कम रहा है। हालांकि तेज गर्मी के बावजूद कई लोकसभा क्षेत्रो में ग्रामीण इलाको का मतदान प्रतिशत बेहतर देखने को मिला है।

10 लाख या उससे अधिक मतदाताओं वाली लोकसभा सीटों पर एक से दो फीसदी मतदान का इधर उधर होना हार जीत में बड़ा उलट फेर कर सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए तो 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण से ही मतदान का प्रतिशत कम होता चला गया।

2019 के चुनावों में पहले चरण में 69.43 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत मतदान हुआ। 2024 के चुनाव के दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 के दूसरे चरण में 69.64 प्रतिशत मतदान हुआ था।

इसी तरह तीसरे चरण के मतदान में 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ। 2019 के चुनाव के तीसरे चरण में 68.4 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीँ चौथे चरण में मतदान 69.16 प्रतिशत रहा, जो 2019 के संसदीय चुनाव के इसी चरण से 3.65 प्रतिशत अधिक है।


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