वाराणसी: इस बार अजय राय को हल्के में लेना बीजेपी को भारी न पड़ जाए !

वाराणसी: इस बार अजय राय को हल्के में लेना बीजेपी को भारी न पड़ जाए !

नई दिल्ली। वाराणसी में मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव की अपनी तीसरी पारी के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। रोड में आई भीड़ बता रही थी कि आसपास के जिलों से भी लोग मंगवाए गए थे। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी और पीएम मोदी की जय जयकार के नारों के साथ पीएम मोदी ने अपना नामांकन दाखिल तो कर दिया लेकिन अनायास ही एक सवाल उठा खड़ा हुआ कि क्या इस बार भी वाराणसी का रास्ता पीएम मोदी के लिए पिछले चुनावो की तरह आसान होगा ?

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि वाराणसी में पिछले दो चुनावो से अलग इस बार बाहरी और स्थानीय का मुद्दा भी तूल पकड़ने लगा है। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अजय राय मतदाताओं के समक्ष अपने स्थानीय होने की बात प्रमुखता से रख रहे हैं। अजय राय कहते हैं कि “मैं काशीवासी हूं, इसी मिट्टी का जन्मा हूं, बनावटी पुत्र नहीं हूं, इस बार जनता बदलाव के मूड में है।”

वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी के मतदाताओं का एक बड़ा तबका बीजेपी से नाराज है। कॉरिडोर के निर्माण से पहले काशी विश्वनाथ के मंदिर के आसपास फूल- मालाएं और प्रसाद बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले सैकड़ों परिवार कॉरिडोर के निर्माण के बाद बेरोज़गार हो चले हैं। ऐसे में बीजेपी से नाराज़गी जायज है।

वाराणसी के लोगों का एक बड़ा सवाल यह भी है कि पीएम मोदी ने काशी को क्यूटो बनाने और गंगा को साफ करने का वायदा किया था। इनमे से कोई वादा पूरा नहीं ही कर पाए बल्कि इसके प्लाट कॉरिडोर के निर्माण के नाम पर कई मंदिरों को तुड़वा दिया।

अजय राय कांग्रेस के वो ज़मीनी कार्यकर्त्ता हैं जिन्हे कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले ही उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है। वाराणसी लोकसभा सीट की बात करें तो अजय राय का स्थानीय और ज़मीन से जुड़ा होना उनके पक्ष में जाता है। वाराणसी लोकसभा सीट काफी लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही है।

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अजय राय तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 1,52,548 वोट मिले थे। 2019 में समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार भी मैदान में था। दूसरे नंबर पर रहीं सपा उम्मीदवार शालिनी यादव को 1,95,159 वोट मिले थे जबकि इस सीट पर विजयी रहे पीएम नरेंद्र मोदी को 6,74,664 वोट मिले थे।

अजय राय वाराणसी लोकसभा सीट पर तीन बार किस्मत आजमा चुके हैं और किस्मत से तीनो ही चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे हैं, लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई से प्रतीत होती है। बेरोज़गारी, मंहगाई जैसे राष्ट्रीय मुद्दों के अलावा स्थानीय मुद्दे भी चुनाव पर हावी है। इसके अलावा इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन होने से वोटों का विभाजन भी रुकेगा, जिसका लाभ अजय राय को मिलेगा।

स्थानीय लोगों की माने तो अजय राय ने कई वर्ष पहले से ही 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। इसलिए इस बार वे अपने प्रचार और चुनाव कार्यक्रम को लेकर पिछले चुनावो से कहीं अधिक उत्साहित दिख रहे हैं।

अपनी जीत का दावा करते हुए अजय राय ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि, “वाराणसी में जो विकास होना चाहिए वह नहीं हुआ, पूरे शहर में 10 साल में कोई काम नहीं हुआ। 10 साल से फ्लाईओवर बन रहा है… ड्रोन शो करके विकास दिखा रहे हैं, जमीन पर नहीं आकाश पर विकास दिख रहा है… 10 साल में वाराणसी में लोगों को झुनझुना दिया गया और जनता को बेवकूफ बनाया।”

फ़िलहाल देखना है कि वाराणसी लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के तौर अजय राय के दावे चुनाव में कितने खरे उतरते हैं। वाराणसी में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होगा।


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